
किसी भी समाज का विकास उस समाज का नागरिक स्वंय करता है जिसका मूल आधार समाज में शिक्षा का समावेश है। जैसे जैसे लोग शिक्षित होंगे सही और गलत में फर्क अपने आप कर लेंगे। आज देश में लोग जागरूक हो रहे है, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस पार्टी की सरकार के विकल्प के रूप में २०१४ में स्पष्ट बहुमत से चुना था जिसका उद्देश्य "सबका साथ सबका विकास" था , जिसका प्राय अच्छे दिनों के आने से था। देश के सभी वर्ग ने भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत देकर सभी पूर्व कार्यरत राजनितिक पार्टियों को हाशिये पर ला दिया था क्योंकि देश का हर वर्ग, समाज का हर बुद्ध जीवी वर्ग देश की प्रगति और उन्नति चाहता था।
परन्तु आज देश की स्थिति सम्पूर्ण रूप से चिंतनीय है। देश पूर्ण रूप से विभाजित किया जा चूका है , हिन्दू मुसलमान के नाम पर, यादव ,ठाकुर , राजपूत , भूमिहार , भीम - दलित बनाम सवर्ण ,हर जगह ,हर प्रान्त विभाजन को महसूस कर रहा है।

भारतीय जनता पार्टी की सरकार के पिछले चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान किये गए कार्यो की तुलना में पूर्व सरकारों द्वारा किया गया दुराचारण,भ्रष्टाचार,नैतिक पतन अब पुण्य कार्य लगते हैं।
आज नेता किसी भी पार्टी का हो या किसी भी वर्ग विशेष का हो जनता ,समाज और देश के उन्नति एवं विकास के लिए तत्पर दीखता है। परन्तु उनकी ये तत्परता उनके स्वंय व पार्टी के विकास के लिए है , देश , समाज , नागरिको से उसका कोई प्रयाय नहीं ये केवल वोट डालने तक सिमित होता है। इन्हे अपने रोजगार से अपने विकास से मतलब है ये सिर्फ और सिर्फ अपने पूर्वाग्रहों को पूरा करने के लिए आतुर है।

हमने भारतीय जनता पार्टी को 2014 में कांग्रेस के विकल्प के रूप में चुना था और वर्तमान में कांग्रेस को 2019 में भारतीय जनता पार्टी को विकल्प के रूप में चुनकर फिर एक गलती करने जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी जिन भ्रष्टाचार के मुद्दों को भुना कर सरकार में आयी थी उसकी जांच तक नहीं हुई तो गिरफ़्तारी का तो सवाल ही नहीं उठता और वर्तमान समय में कांग्रेस जिन भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठा रही है, सरकार में आने के बाद वो भी कोई जांच या गिरफ़्तारियों को कोई तवज़्ज़ो नहीं देंगे ,यही ब्रह्माण्ड सत्य है , पांच साल तुम लूटो पांच साल हम, तुम्हारे अपराध हम न जाने न हमारे अपराध तुम।
यही इन राजनितिक पार्टियों का बिज़नेस मॉडल है यही इनका रोज़गार है , काम की चर्चा चाय पर , चौपाल पर , टी वी चैनलों पर , विभिन्न सभाओं पर करो , अपितु काम कभी न करो। न हिन्दू खतरे में है न मुसलमान खतरे में है , न दलित सुरक्षित है न सवर्ण , अपितु हिंदुस्तान के हर नागरिक का भविष्य इन लोभी राजनेताओ के हाथो में देना एक मात्र खतरा है।

तो इस बार के चुनाव में हमें वर्तमान स्थिति में कोई ऐसा व्यक्तित्व नहीं दीखता जिस पर हम भरोसा कर सकें। मैं किसी भी जाती , वर्ग समाज के लोगो को ये नहीं कहूंगा की वो क्या करें और क्या न करें। अपितु एक बार चिंतन अवश्य करूंगा की नोटा के रूप में जो सवाल में इन वर्तमान भारत में उठने जा रहे है क्या देश इसका जवाब ढूढ़ने की कोशिश करेगा , क्या हम नोटा के माध्यम से इन धूर्त और मक्कार नेताओ को , हम वास्तव में अपने मताधिकार की ताकत का अहसास करा पाएंगे।