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पहले विवेक तत्पश्चात विकास #अच्छे दिन आयेंगे


प्रिय जन एवं विद्यार्थियों वर्तमान समय में अगर परिश्रम करोगे तो भविष्य उज्जवल होगा और अतीत / इतिहास संस्मरण करने योग्य होगा।कांग्रेस ने अपने वर्तमान समय में कुछ नहीं किया जिसका दुष्परिणाम उनके सामने है ,आज ये लगभग विलुप्त होने की श्रेणी में है।


वर्तमान भाजपा सरकार वर्तमान में कम इतिहास में ज्यादा सुधार चाहती है ये ब्रह्माण्ड सत्य है की हम समय में पूर्व जाकर की गयी गलतियों को सुधार नहीं सकते , भगवान राम के जीवन में बीत गया समय उनके जीवन में वापस नहीं आया।


श्री मोदी जी व भाजपा को जातिगत राज नीति नहीं चाहिए लेकिन जातिगत आरक्षण चाहिए। कमजोर लोगो की मदद करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन जाती और वर्ग देखकर कमजोर और सबल का अंतर करना न्यायसंगत नहीं है। देश जितना आज विभाजित है उतना पहले कभी नहीं था। अपंग का नाम दिव्यांग कर देने से उसकी असमर्थता कम नहीं हो जाती उसके लिए आपको धरातल पर आकर उसकी मदद करनी पड़ेगी। अपराध चाहे हिन्दू करे या मुसलमान / दलित करे या सवर्ण अपराध तो अपराध है, तब अपराधियों को जाती की श्रेणी में विभाजित करना कहाँ तक तर्कसंगत है। लेकिन वर्तमान समय इसके आलावा और कुछ होता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा हैI


वर्तमान समय में रंग / पशु पक्षी / शिक्षा / दैनिक जीवन के क्रिया कलाप सब कुछ जाती / हिन्दू - मुसलमान / दलित - सवर्ण में विभाजित है


राजनितिक पार्टिया अनेक हैं लेकिन मकसद सबका एक है। जब सत्ता में रहेंगे तो स्वंय का विकास करेंगे / पार्टी हित ध्यान में रखेंगे और जब सत्ता से बहार रहेंगे तो देश हित के बारे में सोचेंगे।जब सभी राजनितिक पार्टिया देश का विकास चाहती हैं और इनका लक्ष्य एक है तो विरोधभास क्यों , इसका केवल एक मात्र कारण है स्वनिहित स्वार्थ जो इनमे भरपूर है। हाँ अगर अनैतिक रूप से अर्जित किये गए धन (कालाधन) की जांच और अन्वेषण करना है तो सर्वप्रथम सांसदों / विधायकों अवं उनके निकट सम्बन्धियों की ईमानदारी पूर्वक जांच करले 80 - 85 प्रतिशत कालाधन वहां से प्राप्त हो जाएगा स्विट्ज़रलैंड और बहरी मुल्क जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी हमारे जनप्रतिनिधयों को , और शेष 15 से 20 प्रतिशत काले धन की प्राप्ति सरकारी निगमों /विभागों / व्यवसायी की दिनचर्या का अध्यन करेंगे तो मिल जाएगा लेकिन ये तभी संभव होगा , जब वो जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष होगी या जांच किसी विपक्षी पार्टी के नेता की होगी। सत्तारूढ़ पार्टी के सभी नेता तो ईमानदार होते हैं और विपक्ष के नेता सत्ता में आने के बाद ईमानदार हो जाते हैं ,बेईमान तो यहाँ का आमजन है जिसे ये नहीं पता कब उसका इस्तेमाल हो रहा और कब शोषण।


तर्क कीजिये कुतर्क नहीं। चाहे पिछली सरकार हो या वर्तमान सबके अपने स्वंय निर्धारित लक्ष्य हैं , लेकिन आमजन / भारतीय नागरिक का विकास जब होगा जब वो स्वंय का विकास करेगा। अगर आप शिक्षित हैं तो आपकी शिक्षा आपके व्यवहार और वार्तालाप में देखि और मह्सूस की जानी चाहिए । अपने ज्ञानेन्द्रिय को सक्रिय रखें और बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए अपना निर्णय ले।


हमारी दिशा और दशा जब बदलगी जब हम विवेक से विकास का मूल्यांकन करेंगे और राजनीति और राजनेताओ को अपना इस्तेमाल और शोषण करने से रोकेंगे। अतः पहले विवेक तत्पश्चात विकास।


साभार

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